मांसाहारी पौधों की दुनिया

प्रकति भी रहस्यों से भरी पड़ी है , इस संसार में अनेक तरह तरह के विचित्र आश्चर्यजनक अजूबे भरे पड़े है | उन्ही अजूबो में से आज हम बात करेंगे कुछ मांसाहारी पौधों के बारे में जिनकी एक अलग दुनिया है | 
 
१- घटपर्णी - घटपर्णी का वैज्ञानिक नाम नेपंथिस ख़ासियाना है | यह पौधा असम  के खासी पहाड़ियों में पाया  जाता है | इस पौधे की पत्ती एक कलश के रूप में विकसित होती है | जिसके मुँह पर पत्ती का ही एक ढक्कन होता है | 
इस कलश से एक प्रकार का मीठा तरल पदार्थ निकलता है, जिससे कीट इसकी ओर आकर्षित होते है और इसे खाने के लालच में कलश के अंदर उतरते है | कलश की ताली में पाचक द्रव होता है | कीट उस द्रव में फिसल क्र डूब जाते है ,और मर जाते है और वही पर उनका विघटन हो जाता है पोषक पदार्थ द्रव में आ जाते है | इसके बाद पत्ती इन्हे सोख लेती है | 



२- सन ड्यू - इसका वैज्ञानिक नाम ड्रोसेरा है | यह देश के कई भागो में पाया जाता है | इसके पत्तो पर अनेक रेशे निकले रहते है | जो एक चिपचिपा पदार्थ उत्पन्न करते है , सूरज की रोशनी में ओस की बूंदो के समान चमकता है | इन चमकती बूंदो को देखकर कीट इसकी और आकर्षित होते है और इसपर बैठते ही द्रव में चिपक जाते है | कीटो के छटपटाने से लम्बे रेशे एक्टिव हो जाते है और वह रेशे कीट को चारो तरफ से जकड लेते है | रेशो से पाचक द्रव निकलता है जो कि कीट के पोषक पदार्थो को अवशोषित करने के बाद पुनः सीधे हो जाते है और अगले शिकार का इंतज़ार करते है | 


३-  ब्लैडरवर्ट - यूट्रीकुलेरिआ इस पौधे का वानस्पतिक नाम है | यह पौधा बड़े बड़े जलाशयों में पाया जाता है| पूरा पौधा पानी के नीचे रहता है ,पत्तियों की नोक पर एक थैली जैसी सरंचना होती जो की जलधारा के साथ बहकर आने वाले सूक्ष्म जीवो को पकड़ लेता है | थेकि का खुलना या बंद होना एक वाल्व की तरह काम करता है | शिकार के पचने के बाद वाल्व खुल जाता है ,और अगले शिकार का इंतज़ार करता है | 


४- बटरवर्ट्स - इनका वैज्ञानिक नाम पिंगुइकुला है | इसके फूल बड़े ही आकर्षक और मनमोहक होते है | इसकी पत्तिया एक प्रकार का तरल द्रव स्रावित करती है | सुन्दर फूलो की वजह से कीट इनकी ओऱ खींचे चले आते है , और जैसे ही कीट इसकी पत्तियों पर बैठता है तो फिर वः दोबारा कभी उड़ नहीं पता है वही चिपक जाता है | चिपके हुए कीट के पोषक तत्वों का पाचन कर लिया जाता है |


५-  कोबरा लिली- इसका वैज्ञानिक नाम डार्लिगाटोनिया  है | यह उत्तर कैलिफ़ोर्निया व ओरिगों में पाया जाता है | इसकी पत्तिया एक कोबरा नाग के फन  की तरह झुकी होती है इसलिए इस पौधे को कोबरा लिली के नाम से जाना जाता है | इस पौधे की विषेशता है कि ये कोई पाचक एंजाइम पैदा नहीं करता हैउसके स्थान पर बैक्टीरिया एवं प्रोटोजुआ कैद कीट के पोषक तत्वों को ग्रहण करने में सहयता करते है | 


        इस प्रकार यही हमारे कुछ माँसाहारी पौधे है , जिनकी अपनी ही एक अलग दुनिया है 
 

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